HI/750119 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि हम अपनी इंद्रियों का सदैव प्रभु की सेवा में उपयोग करते हैं, तो वह है भक्ति। वर्तमान समय में हम अपनी इंद्रियों का उपयोग भौतिक उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं। इसे शुद्ध करना है। इसका उपयोग कृष्ण की सेवा के लिए किया जाना चाहिए। हम अपनी इंद्रियों का उपयोग समाज, मित्रता और प्रेम की सेवा के लिए कर रहे हैं। लेकिन उस सेवा को कृष्ण को हस्तांतरित किया जाना चाहिए। तब वह भक्ति है। सर्वोपधि-विनर्मुक्तं तत्-परत्वेन निर्मलम् (चै.च. मध्य १९.१७०)।"
७५०११९ - प्रवचन श्री.भा. ०३.२६.४४ - बॉम्बे