"संकर्षण के तीन रूप में विस्तार हुआ, वे महाविष्णु, गर्भोदक्षयी विंष्णु और क्षीरोदक्षयी विष्णु हैं। महाविष्णु... जब भौतिक जगत की संरचना हुई, वहीं पर महाविष्णु का विस्तरित हैं। महा विष्णु से ही सभी ब्रह्मांड का जन्म हुआ। महा विष्णु से गर्भोदक्षयी विष्णु विस्तरित हुए। गर्भोदक्षयी विष्णु प्रत्येक ब्रह्मांड में प्रवेश करते हैं। गर्भोदक्षयी विष्णु से क्षीरोदशयी विस्तरित हुए। इसी ब्रह्मांड में ध्रुवतारे के समीप क्षीरोदक्षयी का नक्षत्र है। क्षीरोदक्षयी विष्णु से परमात्मा का विस्तार हुआ जो सभी के ह्रदय में वास करते हैं।"
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