HI/690410 - सत्स्वरूप को लिखित पत्र, न्यू यॉर्क

Revision as of 14:17, 15 January 2022 by Dhriti (talk | contribs) (Created page with "Category:HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के पत्र‎ Category:HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda


१० अप्रैल १९६९


मेरे प्रिय सत्स्वरूप, कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके दिनांक 5 अप्रैल 1969 के पत्र की प्राप्ति की पावती देता हूं, और मैंने विषय को ध्यान से नोट कर लिया है। मैं 23 अप्रैल को बोस्टन इस्कॉन पहुंचूंगा, और आप उसके अनुसार व्यवस्था कर सकते हैं। मैंने कृष्ण टेप के आपके प्रतिलिपि को पढ़ा है, और आप इसे बहुत अच्छी तरह से कर रहे हैं। मैं आपके प्रयासों से बहुत प्रसन्न हूँ।

जदुरानी के प्रश्न के संबंध में; हरे कृष्ण का स्पंदन सुनकर स्वतः ही कृष्ण की लीला याद आ जाती है। तो ये दोनों एक साथ मन में उठते हैं जब कोई ईमानदारी से जप कर रहा होता है। तो आप लीलाओं की ध्वनि सुनने और सोचने में कोई भेद नहीं कर सकते। लेकिन प्रक्रिया सुनने की है, और तब कृष्ण की लीलाएं, रूप, गुण आदि स्वतः ही दिमाग में आ जाएंगे: यह बहुत अच्छा है।

मुझे आशा है कि यह आपको अच्छे स्वास्थ्य और हंसमुख मूड में मिलेगा। मैं आपको एक बार फिर से देखने के लिए उत्सुक रहूंगा।

आपका सदैव शुभचिंतक,

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी