"नरोत्तम दास ठाकुर ने बहुत अच्छा गान गया है : देह स्मृति नाहि यार संसार बंधन कहां तार : "वो व्यक्ति जो इस जीवन के भौतिक धारणा से मुक्त हो चुका है,अब वह बद्ध जीव नही रहा। ऐसे व्यक्ति की मुक्ति हो चुकी है।" देह स्मृति नाही यार। यह संभव है। यह संभव है। इस संदर्भ में उदाहरण दिया गया है , जैसे एक नारियल जब वह कच्चा है, तो वह पूरा नारियल जुड़ा हुआ है,किंतु जब वह सुखा हुआ है और आप उसे हिलाएंगे तो आपको ध्वनि सुनाई देगी कर्ट-कर्ट कर्ट-कर्टl इसका अर्थ की नारियल के भीतर की खोल नारियल के जड़ से प्रथक हो चुकी है। यह संभव है। वैसे ही यह भौतिक शरीर के भीतर होते हुए भी, यदि आप भक्ति-योग के नियमो का पालन करेंगे, वासुदेवे भगवती- भक्ति-योग वासुदेव के प्रति किसी और के नही -वासुदेवे भगवती भक्ति योगः प्रायोजितः- फिर धीरे धीरे आप इस भौतिक जगत से मुक्त होजाएंगे। "
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