HI/710317 - मुकुंद को लिखित पत्र, बॉम्बे

Revision as of 13:51, 25 February 2019 by Harshita (talk | contribs) (Created page with "Category:HI/1971 - श्रील प्रभुपाद के पत्र Category:HI/श्रील प्रभुपाद के सभी पत्र हि...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Letter to Mukunda


त्रिदंडी गोस्वामी

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी


शिविर:इस्कॉन
आकाश-गंगा भवन
7 वीं मंजिल
वार्डन रोड
बॉम्बे -26 भारत

17 मार्च, 1971


मेरे प्रिय मुकुन्द,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा दिनांक 22 फरवरी, 1971 का पत्र प्राप्त हुआ है और मैंने उसे पढ़ा है। इस समय मैं बम्बई में हूँ और यहां पर 4 अप्रैल तक रहूंगा। मुझे तुम्हें यह बताते हुए बहुत खेद हो रहा है कि लंदन की व्यवस्था अच्छे ढ़ंग से नहीं चल रही है। मुझे अनेकों नकारात्मक सूचनाएं प्राप्त हुई हैं। औऱ सबसे ज्यादा हैरानी की खबर यह है कि, हमारी जिस छोटी वैन को तुमने मेरी मौजूदगी में खरीदा था, उसे उसका मालिक, ठीक प्रकार मूल्य अदा न किए जाने के कारण, वापस ले जा चुका है। तो जो राशि हम दे चुके हैं, वह भी हाथ से चली गई है। खैर कोई बात नहीं, यह अतीत है। न होनो से देरी भली। अब लंदन मन्दिर को इसकी पूर्ववर्ती स्थिति में लाने के प्रयास करो। मुझे विश्वास है कि तुम यह अच्छे ढ़ंग से कर सकते हो। तो चले चलो और मुझे बताओ कि तुम्हारी क्या प्रगति हो रही है।

साथ ही मुझे, दीक्षा के लिए आग्रह करते हुए, पांच पत्र प्राप्त हुए हैं। रिचर्ड प्राइम व जिम कांउसिलमन की दीक्षा हो चुकी है और अब तक उन्हें मेरे द्वारा जप की हुई उनकी जपमालाएं प्राप्त हो गईं होंगी। और कृपया मिलन, फिलिप एवं ऐना को उनके सुन्दर पत्रों के लिए धन्यवाद करना। जहां तक है, मैं बम्बई से अमरीका वापस जाते हुए रास्ते में लंदन रुकुंगा और उस समय मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप में दीक्षा दूंगा।

कृपया बाकि सबको मेरे आशीर्वाद देना। आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

(हस्ताक्षरित)

ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी

एसीबीएस/एडीबी


श्रीमन् मुकुंद दास अधिकारी
7 ब्यूरी प्लेस
लंदन, डब्ल्यू.सी. 1
इंगलैंड