HI/710419 - बलि मर्दन को लिखित पत्र, बॉम्बे

Revision as of 17:04, 26 February 2019 by Harshita (talk | contribs) (Created page with "Category:HI/1971 - श्रील प्रभुपाद के पत्र Category:HI/श्रील प्रभुपाद के सभी पत्र हि...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda



19 अप्रैल, 1971


पेनांग

मेरे प्रिय बलि-मर्दन,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तम्हारा दिनांक 12 अप्रैल, 1971 का पत्र मिला और मैंने उसे ध्यानपूर्वक पढ़ा है। हां, मुझे आश्रम भूमि के लिए दान का दस्तावेज़ मिल गया है और उसे आज डाक द्वारा भेज दिया जाएगा। इससे पहले, यह सुझाया गया था कि कमला देवी हमें मन्दिर निर्माण के लिए आवश्यक धन, $50,000 दे देंगीं। दिनांक 16 अप्रैल, 1971 के मेरे पत्र में मैं तुम्हे मन्दिर की परियोजना मोटे तौर पर भेज चुका हूँ। तो मन्दिर का निर्माण उसी रूपरेखा के अनुसार होना चाहिए। यदि हम मन्दिर बनाते हैं, तो वह अवश्य ही वहां के मौजूदा लक्ष्मी-नारायण मन्दिर से भी अधिक भव्य होना चाहिए। तो कृपया इसका प्रबंध करो। यदि संभव हो तो हम मन्दिर संगमरमर का बनाएंगे। तुम्हारे अनुरोध के अनुसार, मैंने मि. माखनलाल को एक प्रशंसा पत्र भेजा है, जिसकी एक प्रति यहां संलग्न है।

वहां पर भक्तों को भेजना एक चीज़ है, पर क्यों न भक्त बना दिए जाएं? निकट स्थानों से भक्त बनाना, यहां या कहीं और से भक्तों को भजने से बहुत कम कठिन है। यदि आवश्यकता हो तो तुम अमेरिका पत्र लिख सकते हो। यहां पर भी हम एक अच्छा केंद्र बनाने का प्रयास कर रहे हैं और हमें अधिक भक्तों की आवश्यकता है, और कई आ रहे हैं।

हमारे संघ का पंजीकरण अत्यावश्यक और तुम्हें यह तुरंत करवाना चाहिए। यहां बम्बई में हम अन्तर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ के नाम पर पंजीकृत हैं। हम मुसलमानों का धर्मातंरण नहीं कर रहे हैं। हम धर्मांतरण नहीं करते। क्या मुसलमानों को कृष्ण के दर्शन का प्रचार करने पर कोई प्रतिबंध है? यदि कोई हमारे दर्शन कौ समझ लेता है तो वह अपना धर्मांतरण स्वयं कर लेगा और ऐसा करने का मार्ग भी ढ़ूंढ़ निकालेगा। तो यदि कोई पाबंदी नहीं हो, तो हमारे दर्शन का प्रचार करते जाओ। वह अशरदार होगा।

जहां तक मेरा वहां पर आने का सवाल है, तो वह इस बात पर निर्भर करेगा कि हमें रूस जाना है या नहीं। यदि नहीं तो मैं सिडनी वाया क्वाला लुम्पूर जाऊंगा। यह कार्क्रम अगले कुछ दिनों में पक्का हो जाना चाहिए, तो मैं तुम्हें बता दूँगा।

आशा है कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त होगा।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी

पश्चलेख: दस्तावेज़ों की दो प्रतियों में से मूल को पंजिकृत करवा कर हमें लौटा देना है।