HI/Prabhupada 1037 - इस भौतिक जगत में हम देखते हैं कि लगभग हर कोई भगवान को भूल गया है

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730809 - Conversation B with Cardinal Danielou - Paris

प्रभुपाद: ... उंगली मेरे शरीर का अभिन्न अंग है, लेकिन मेरा काम है शरीर की सेवा करना । मैं उंगली से कहता हूं: " यहाँ आओ।" वह एसा करता है । मैं उंगली से कहता हूं : " यहाँ आओ ।" वह करता है.... तो उंगली का काम ही है, पूर्ण की सेवा करना । यह अंश है । और शरीर पूर्ण है । तो इसलिए, अभिन्न अंग का काम है सेवा करना, पूर्ण को सेवा प्रदान करना । यह स्वाभाविक स्थिति है ।

योगेश्वर : फ्रेंच में ।

कार्डिनल डेनियलौ: मैं इससे सहमत हूं....

प्रभुपाद: मुझे समाप्त करने दो ।

कार्डिनल डेनियलौ: हाँ । और मुझे लगता है कि प्रत्येक प्राणी का कर्तव्य हाँ भगवान की सेवा करना, हॉ । भगवान की सेवा ।

प्रभुपाद: हाँ । तो जब जीव इस कर्तव्य को भूल जाता है, वह भौतिक जीवन है ।

कार्डिनल डेनियलौ: यह है ...? फ्रेंच में

योगेश्वर : फ्रेंच में ।

प्रभुपाद: इसलिए हम देखते हैं कि इस भौतिक जगत में लगभग हर कोई भगवान को भूल गया है ।

योगेश्वर : फ्रेंच में ।

कार्डिनल डेनियलौ: फ्रेंच में ।

प्रभुपाद: निष्कर्ष यह है कि इस भौतिक जगत का सृजन हुअा है...

कार्डिनल डेनियलौ: सृजन ...

प्रभुपाद: भूलने वाली आत्माओं के लिए बनाया गया है ।

योगेश्वर : फ्रेंच में ।

कार्डिनल डेनियलौ: हॉ ।

प्रभुपाद: और यहाँ कर्तव्य है फिर से भगवान भावनामृत को पुनर्जीवित करना ।

योगेश्वर : फ्रेंच में ।

कार्डिनल डेनियलौ: हॉ ।

प्रभुपाद: तो जीवों को प्रबुद्ध करने की प्रक्रिया, विशेष रूप से मनुष्य, क्योंकि जानवर के जीवन में, किसी को प्रबुद्ध नहीं किया जा सकता है । न तो जानवर समझ सकता है कि भगवान क्या हैं ।

कार्डिनल डेनियलौ:: हाँ, हाँ ।

प्रभुपाद: यह केवल मनुष्य ही समझ सकता है । अगर वह प्रशिक्षित है, तो वह भगवान भावनामृत को अपना सकता है ।

कार्डिनल डेनियलौ : हाँ, हाँ । यह सच है ।

प्रभुपाद: तो यह सृजन भूले हुए आत्माओं के लिए है, उन्हें एक मौका देने के लिए अपनी भगवान भावनामृत को पुनर्जीवित करने के लिए ।

योगेश्वर : यह स्पष्ट है ?

कार्डिनल डेनियलौ : हाँ, यह स्पष्ट है । यह बहुत, बहुत स्पष्ट है । बहुत स्पष्ट ।

प्रभुपाद: और इस उद्देश्य से कभी कभी भगवान व्यक्तिगत रूप से आते हैं । कभी कभी वे अपने प्रतिनिधि को भेजते हैं, उनके बेटे, या उनके भक्त, उनके सेवक । यह चल रहा है । भगवान चाहते हैं कि ये भूलने वाली आत्माऍ वापस घर अाऍ, भगवद धाम को ।

कार्डिनल डेनियलौ: हाँ । हाँ, लौटें हॉ ।

प्रभुपाद: इसलिए उनकी ओर से, निरंतर प्रयास रहता है उनके भगवान भावानामृत को पुनर्जीवित करने के लिए ।

कार्डिनल डेनिलौ : हाँ ।

प्रभुपाद: अब यह भगवान भावनामृत मनुष्य जीवन में जागृत किया जा सकता है, जीवन के अन्य रूप में नहीं ।

कार्डिनल डेनिलौ: अन्य नहीं, हाँ ।

प्रभुपाद: शायद बहुत कम, लेकिन मनुष्य ... (एक तरफ :) पानी कहां है ?

योगेश्वर : उसने कहा कि वह उसके साथ आ रही थी....

प्रभुपाद: अच्छा । मनुष्य को विशेषाधिकार मिला है अपने निष्क्रिय भगवान भावनामृत को जगाने के लिए ।

योगेश्वर : फ्रेंच में ।

कार्डिनल डेनिलौ : हाँ ।

प्रभुपाद: तो मानवता के लिए सबसे अच्छी सेवा है उनके भगवान भावनामरत को जगाना ।

कार्डिनल डेनिलौ: हाँ, यह सच है, यह सच है ।

प्रभुपाद: सबसे अच्छी सेवा ।