HI/731102 बातचीत - श्रील प्रभुपाद दिल्ली में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"इस भगवद् गीता में राजनीति, समाजशास्त्र, धर्म, दर्शन-सब कुछ समाहित है। इसलिए इस संस्कृति का प्रसार किया जाना चाहिए; यह भारत की संस्कृति, मूल संस्कृति का प्रसार किया जाना चाहिए। और हम इसका प्रयास कर रहे हैं। और यह सफल हो रहा है।"
731102 - बातचीत - दिल्ली