कृष्ण का मतलब है सर्व-आकर्षक, और यह भगवान का उत्तम नाम है । जब तक ईश्वर सर्व-आकर्षक नहीं होंगे, तो वह भगवान् नहीं कहलायेंगे, वह भगवान नहीं है । भगवान सिर्फ हिन्दु के या ईसाई के या यहूदियों के या मुसलमानो के ईश्वर नहीं । भगवान सबके लिए है, वह सर्व-आकर्षक है । वह ऐश्वर्य में पूर्ण है । वह पूरी तरह ज्ञान में है, ज्ञान में परिपूर्ण, सुंदरता में परिपूर्ण, त्याग में परिपूर्ण, प्रसिद्धि में परिपूर्ण, ताकत में परिपूर्ण है । इस तरह से वह सर्व-आकर्षक है । तो हमें परमेश्वर के साथ हमारे संबंध को जानना चाहिए । यह इस पुस्तक, भगवद गीता यथा रूप, का पहला विषय है । फिर जब हम हमारे संबंध को समझेंगे, तो हम तदनुसार कार्य कर सकते हैं ।
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