HI/670311 - सार महाराज को लिखित पत्र, सैन फ्रांसिस्को

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सार महाराज को पत्र



मार्च ११,१९६७

मेरे प्रिय श्रीपाद सर महाराज,
कृपया अपने कमलचरणों में मेरी विनम्र दंडवत को स्वीकार करें। मैं २०,१९६७ फरवरी के आपके पत्र की प्राप्ति में हूँ। दुनिया के इस हिस्से में श्रील प्रभुपाद के संदेश को प्रचारित करने के अपने विनम्र प्रयास में मुझे प्रोत्साहित करने के लिए आप सभी का मैं बहुत-बहुत आभारी हूं। अगर आप सभी वैष्णवों का आशीर्वाद मेरे साथ है, तो मुझे विश्वास है की मै निश्चय ही सफल होऊंगा।

मैं अपने प्रकाशन कार्य के मामले में आपकी कठिनाई को समझ सकता हूं। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि हमारे प्रिय गोस्वामी महाराज के पदचिह्नों पर चलकर आपकी गतिविधियाँ अच्छी तरह से संचालित हो रही हैं।

मैं आपको बता सकता हूं कि इस देश में स्थायी वीजा के मामले में मुझे भारत से कुछ प्रमाण पत्र चाहिए। क्या आप कृपया मुझे अध्यक्ष और गौड़ीय संघ के आचार्य होने के नाते, अपने व्यक्तिगत पत्र से एक प्रमाण पत्र (पंजीकृत) को निम्नलिखित शब्दों में लिखकर उपकृत कर सकते हैं। प्रमाण पत्र के शब्द:

"यह प्रमाणित करने के लिए है कि परम पावन त्रिदंडी स्वामी ए.सी.भक्तिवेदांत स्वामी जी महाराज,मेरे आध्यात्मिक गुरु ओम विष्णुपद श्री श्रीमद् भक्तिसिद्धांत गोस्वामी के एक प्रामाणिक शिष्य है। हमने उनके प्रकाशन श्रीमद्भागवतम् की बहुत सराहना की है, जो हमारे सज्जन तोशनि पत्रिका(मासिक पत्रिका) जून १९६३ को प्रकाशित की गई थी। स्वामी ए.सी. भक्तिवेदांत हमारे पत्रिका के संपादक थे, तब से जब यह पत्रिका दिल्ली से प्रकाशित हुआ करती थी। तदपश्चियत उन्होंने सन्यास (१९५९) परम पवन श्री श्रीमद भक्ति प्रज्ञान केशव महाराज से लिया, जो गौड़ीय वेदांत समिति के संस्थापक अध्यक्ष है। वह इसलिए एक प्रामाणिक प्रचारक है,जो चैतन्य महाप्रभु के शिष्य प्रणाली मे है जिनने कृष्णा भावनामृत का प्रचार लगभग ४८१ वर्ष पहले शुरू किया था। हम ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी के धर्मभाई उनसे बहुत अधिक आनंदित है, जो इस वृद्ध उम्र मे अपने आध्यात्मिक गुरु के आदेश को पूरा करने पश्चिमी देशों मे प्रचार करने चल दिए है। हम सब उसे इस माहन और श्रेष्ठ कार्य के लिए हम सभी उन्हें सफल होने की शुभकामना देते हैं।”

एस.डी / ---------------------
(भक्ति सौरभ भक्तिसार महाराज)
अध्यक्ष और आचार्य।

कृपया इस प्रमाणपत्र को डाक से लौटाकर भेजें और उपकृत करे। पूर्वानुमान में आपको धन्यवाद।

आप का स्नेही,

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी