HI/760331 - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 16:09, 6 July 2024 by Uma (talk | contribs) (Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७६ Category:HI/अमृत वाणी - वृंदावन {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/760331SB-VRNDAVAN_ND_01.mp3</mp3player>|"वास्तविक शिक्षा स...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"वास्तविक शिक्षा स्वयं को समझना है, आत्म-साक्षात्कार, और उस उद्देश्य से व्यक्ति को कृष्ण भावनामृत में प्रगति करनी चाहिए, जिसका आरम्भ श्रवण से होता है। जैसा कि हम सुन रहे हैं, श्रवण के बिना आध्यात्मिक शिक्षा का आरम्भ नहीं होता। सतां प्रसंगान मम वीर्य-संविदो (श्री. भा. ३.२५.२५)। उस श्रवण को भी भक्त से, वास्तविक भक्त से ग्रहण करना चाहिए।"
760331 - प्रवचन श्री. भा. ०७.०५.२३-२४ - वृंदावन