HI/760427 - श्रील प्रभुपाद ऑकलैंड में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"मेरा एकमात्र अनुरोध यह है कि कृष्ण भावनामृत आंदोलन मानव समाज को जन्म और मृत्यु के चक्र में फिर से गिरने से बचाने के लिए सबसे वैज्ञानिक आंदोलन है। यह बहुत वैज्ञानिक आंदोलन है। जन्म और मृत्यु का चक्र चल रहा है। हम शाश्वत हैं। लोगों को इतने गहरे अंधकार में डाल दिया गया है, वे नहीं जानते कि क्या हो रहा है, जीवन का उद्देश्य क्या है। वे नहीं जानते। न ते विदुः। वे नहीं जानते। सनकी तौर पर हर कोई कुछ न कुछ बना रहा है, बकवास। जनिया शुनिया बिष खैनु। कृष्ण जो कहते हैं, हमें उसे स्वीकार करना होगा। तब हम सुरक्षित हैं। अन्यथा हम फिर से खो जायेंगे। इसलिए सौभाग्य से आपको यह कृष्ण भावनामृत मिला है, इसलिए अपने जीवन का सही उपयोग करें। आपके पास अपार साहित्य है। इसे पढ़ें। इसे पचाएँ। अपने जीवन को परिपूर्ण बनाएँ। यही मेरा अनुरोध है।"
760427 - प्रवचन आगमन - ऑकलैंड