HI/760516 - श्रील प्रभुपाद होनोलूलू में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"इसलिए व्यक्ति के विभिन्न वर्ग के अनुसार, स्वाद भी अलग है। आप उम्मीद नहीं कर सकते कि स्वाद एक जैसा होगा। "एक आदमी का खाना, दूसरे आदमी का जहर।" यह एक अंग्रेजी कहावत है। एक आदमी का खाना दूसरे आदमी के लिए जहर है। इसलिए समाज विभाजित है। वह वैज्ञानिक पद्धति है, वर्ग। चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुण-कर्म-विभागशः (भ.गी. ४.१३)। वह भगवान की रचना है, चार वर्ग, पुरुष। और पांचवां वर्ग लगभग खारिज कर दिया गया है। चौथे वर्ग तक। पहला वर्ग, दूसरा वर्ग, तीसरा वर्ग, चौथा वर्ग। और चौथे वर्ग से नीचे, पांचवें वर्ग से, वे हैं, वे मनुष्य नहीं हैं। इसलिए विभिन्न वर्गों का स्वाद अलग-अलग है। लेकिन एक बात यह है कि हम जिस भी वर्ग से संबंधित हों, अगर आप कृष्ण भावनामृत में हैं, तब हम एक हो जाते हैं। लोग एकता चाहते हैं। संयुक्त राष्ट्र संगठन है, लेकिन जब तक हम खुद को भौतिक मंच पर रखेंगे तब तक एकता नहीं हो सकती। यह संभव नहीं है। केवल आध्यात्मिक मंच पर ही एकता हो सकती है।"
760516 - प्रवचन श्री. भा. ०६.०१.१६ - होनोलूलू