HI/760517b - श्रील प्रभुपाद होनोलूलू में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 12:56, 22 August 2024 by Uma (talk | contribs) (Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७६ Category:HI/अमृत वाणी - होनोलूलू {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/760517SB-HONOLULU_ND_01.mp3</mp3player>|"जिन लोगों ने नारा...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जिन लोगों ने नारायण, भक्ति सेवा के मार्ग को अपने जीवन और आत्मा के रूप में अपनाया है, उन्हें नारायण-परायण: कहा जाता है। तो नारायण-परायण की योग्यता क्या है? नारायण-परायण बनने के लिए किसी योग्यता की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यदि आप स्वेच्छा से नारायण-परायण बन जाते हैं . . . नारायण-परायण का अर्थ है कि मेरा जीवन अब नारायण के लिए समर्पित है। नारायण, कृष्ण, विष्णु, वे एक ही हैं। तो यह योग्यता है, यदि आप जैसे ही इसे व्रत के रूप में लेते हैं कि "आज से मेरा जीवन नारायण, कृष्ण को समर्पित है।" सर्वोपाधि विनिर्मुक्तम् तत् परत्वेन निर्मलम् (चै. च. मध्य १९.१७०)। जैसे ही हम यह व्रत लेते हैं कि, "आज से मेरा जीवन कृष्ण को समर्पित है। कृष्ण चाहते हैं कि हर कोई आत्मसमर्पण करे। मैं आत्मसमर्पण करता हूँ। मुझे विश्वास है," उस दिन से आप सभी पदनामों से मुक्त हो जाते हैं।"
760517 - प्रवचन श्री. भा. ०६.०१.१७ - होनोलूलू