HI/760601 - श्रील प्रभुपाद होनोलूलू में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 11:48, 31 August 2024 by Uma (talk | contribs) (Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७६ Category:HI/अमृत वाणी - होनोलूलू {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/760601SB-HONOLULU_ND_01.mp3</mp3player>|"मुद्दा यह है कि य...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"मुद्दा यह है कि यहाँ यौन जीवन सर्वोच्च सुख है, और आध्यात्मिक दुनिया में कोई यौन सम्बन्ध नहीं है। तो वह सुख क्या है? वह सुख यह जप और नृत्य है, हरे कृष्ण महा-मंत्र। यह शास्त्र में कहा गया है। वे इस जप और नृत्य में इतने लीन हैं कि उन्हें यौन सम्बन्ध में कोई दिलचस्पी नहीं है। यही एकमात्र तरीका है। यदि आप यौन सम्बन्ध के सुख को रोकना चाहते हैं, तो आपको यह सुख, यह पारलौकिक सुख लेना होगा। आप सब कुछ भूल जाएँगे।"
760601 - प्रवचन श्री. भा. ०६.०१.३३ - होनोलूलू