HI/760608c - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 07:03, 2 September 2024 by Uma (talk | contribs) (Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७६ Category:HI/अमृत वाणी - लॉस एंजेलेस {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/760608MW-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"जिस प्रकार तु...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जिस प्रकार तुम्हारे कारावास की अवधि, बीते दिनों के अनुसार, समाप्त हो गई है, तुम पुनः स्वतंत्र हो। इसी प्रकार, कुत्तों या तिलचट्टों से या इस या उस से प्राकृतिक विकास द्वारा, विकास की एक प्रक्रिया होती है। तुम मानव शरीर में आते हो। तब फिर तुम निर्णय करते हो कि तुम नीचे जाओगे या तुम वापस घर जाओगे, भागवत धाम। यह तुम्हारा चुनाव है। यदि तुम नीचे जाना चाहते हो, तो फिर जाओ। अन्यथा, त्यक्त्वा देहम पुनर जन्म नैति मामेति (भ. गी. ४.९), यहाँ आओ। इसलिए अपना चुनाव करो।"
760608 - सुबह की सैर - लॉस एंजेलेस