HI/680704 - बलई को लिखित पत्र, मॉन्ट्रियल

त्रिदंडी गोस्वामी
एसी भक्तिवेदांत स्वामी
आचार्य: अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी
शिविर: इस्कॉन राधा कृष्ण मंदिर
3720 पार्क एवेन्यू
मॉन्ट्रियल क्यूबेक कनाडा
दिनांक ..जुलाई...4,..................1968...
मेरे प्रिय बलई,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं 20 जून, 1968 के आपके पत्र के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ, और मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि आप गृहस्थ के रूप में खुशी से रह रहे हैं। मैं अपने सभी शिष्यों को ऐसे ही शांतिपूर्वक रहते हुए और ऐसे ही कृष्ण चेतना को क्रियान्वित करते हुए देखना चाहता हूँ। यही जीवन की पूर्णता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई ब्रह्मचारी है या गृहस्थ, असली परीक्षा यह है कि वह कृष्ण चेतना को कैसे क्रियान्वित कर रहा है।
हाँ, हमें अपने स्वयं के प्रेस की बहुत तत्काल आवश्यकता है, और जैसा कि अद्वैत ने अपने विचार में ऐसे प्रेस का संचालन करने का विचार किया है, और वह इस इच्छा को पूरा करने के लिए इतनी मेहनत कर रहा है, निश्चित रूप से कृष्ण इस प्रयास के लिए उस पर और आप पर भी बहुत प्रसन्न होंगे। विचार किया जा रहा है कि हम मॉन्ट्रियल में ही प्रेस शुरू कर सकते हैं, क्योंकि यहाँ पर्याप्त जगह है। अभी तक यह तय नहीं हुआ है, लेकिन अगर हम शुरू करने का फैसला करते हैं, तो अद्वैत इस उद्यम में कैसे मदद कर सकता है? वैसे भी, जब तक अद्वैत प्रेस चलाने के मामले में पूरी तरह से पारंगत नहीं हो जाता, मैं अपना खुद का प्रेस शुरू करने की कोशिश नहीं करूँगा। और जब वह संतुष्ट हो जाएगा, तब हम एक अच्छी तरह से सुसज्जित प्रेस शुरू करेंगे।
हाँ, यह बहुत अच्छी भावना है। सभी माता-पिता को ऐसा ही सोचना चाहिए। महाराज प्रह्लाद, ध्रुव महाराज, वे आदर्श बाल भक्त हैं और सभी के बच्चों को ऐसे महान व्यक्तित्वों के आदर्श में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
हाँ, गर्भावस्था के दौरान आपको बहुत सावधानी से रहना चाहिए।
आशा है कि आप दोनों अच्छे होंगे,
आपके सदा शुभचिंतक,
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
26 सेकंड एवेन्यू,न्यू यॉर्क
एन.वाई. 10003
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