HI/580814 - दर्शनाचार्य डॉ. बी.एल. आत्रेय एम.ए. डी.लिट आदि को लिखित पत्र, बॉम्बे

Revision as of 10:03, 18 March 2021 by Harsh (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
दर्शनाचार्य डॉ. बी.एल. आत्रेय एम.ए. डी.लिट आदि को पत्र (पृष्ठ १ से २)
दर्शनाचार्य डॉ. बी.एल. आत्रेय एम.ए. डी.लिट आदि को पत्र (पृष्ठ २ से २)


भक्तों का संगठन।
(संस्था अधिनियम सं. XXI १८६० के तहत)

अगस्त १४, १९५८

पद्मभूषण नाइट कमांडर,
दर्शनाचार्य डॉ. बी.एल. अत्रेय एम.ए. डी.लिट आदि
अत्रेय निवास, पी.ओ. हिंदू विश्वविद्यालय,
वरानाशी-५।

श्रीमान,

चूँकि आप धार्मिक और दार्शनिक मिशन पर विदेशों में एक प्राध्यापक हैं, मुझे अपनी मिशनरी गतिविधियों के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए आपकी मदद की आवश्यकता है। संक्षेप में कार्यक्रम एक अपील के रूप में इसके साथ संलग्न है जिसे कृपया पढ़ें और उपकृत करें। इस पत्र का जवाब मिलने पर, मैं आपको अपना प्रकाशन हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में भेजूंगा।

इस योजना का संपूर्ण अभिप्राय भगवान चैतन्य के पंथ का प्रचार करना है, जो प्रत्येक जीव पर परमभगवान के दिव्य प्रेम का उच्चतम लाभ प्रदान करना चाहते हैं और केवल यह ही दुनिया में शांति ला सकता है

लोग अब दुनिया में शांति लाने के लिए बहुत व्यस्त हैं और एक प्रभावी शांति आंदोलन करने के लिए लगातार महंगे सम्मेलन, बैठकें, शिखर वार्ता आदि आयोजित कर रहे हैं, लेकिन ईश्वर के किसी भी संबंध के बिना इस तरह के प्रयास करने के कारण, यह सब परम सत्य के बाह्य प्रकृति के बहुविध कृतियों के अनुगत आता है। एक अनुभवी दार्शनिक के रूप में यह तथ्य आपके सामने छिपा नहीं है। भगवान चैतन्य के अनुसार प्रत्येक भारतीय दुनिया के बाकी हिस्सों का भला करने के लिए सक्षम है, बशर्ते उसने जीवन के मिशन को पूरा किया है, जो हर जीव में सुप्त दिव्य चेतना को पुनः जागृत करना है।

प्रभु द्वारा सुझाई गई प्रक्रिया बहुत ही सरल और सादा है। वह केवल कृष्ण के संदेश (भगवद-गीता) या कृष्ण के बारे में (आध्यात्मिक भागवतम्) सुनने के लिए या दोनों प्रक्रियाओं के मिश्रण – श्री चैतन्य चरितामृत के संदेश को ग्रहण करने के लिए, एक उपयुक्त वातावरण की स्थापना करना है।

सुनने की प्रवृत्ति को आसान और अनुकूल बनाने के लिए आध्यात्मिक मूल्य से संचालित गीतों और संगीतों को सभी वर्गों के पुरुषों के मध्य, समान रूप से साझा किया जाना चाहिए, यानी अनपढ़ से लेकर बड़े ज्ञानी तक। यह आंदोलन उदात्त और आसान है।

इस आंदोलन को संगठित तरीके से करने के लिए भक्तों के संगठन को पंजीकृत किया गया है और मुझे श्रीमान आपसे अमूल्य सहयोग की आशा है।

आपके प्रारंभिक उत्तर की प्रतीक्षा और आपको प्रत्याशा में धन्यवाद।

आपका आभारी,

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी