HI/660219 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

श्रील प्रभुपाद की अमृत बूँदें
केवल अर्जुन ही नहीं, हम सभी इस भौतिक जगत् के अस्तित्व के कारण, जीवन में चिन्तित हैं। "असर ग्रहात्" अर्थात् इस अनस्तित्व परिवेश व वातावरण में अस्तित्व होना। किन्तु वास्तव में हम अनस्तित्व नहीं हैं। हमारा अस्तित्व शाश्वत् है, लेकिन किसी कारण हम इस असत् में भेजे गये हैं। असत् का अर्थ है जिसका अस्तित्व नहीं होता।
[[|Vanisource:660219-20 - Lecture BG Introduction - New York]]