हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि यह भौतिक शरीर परायी वस्तु है। हमने यह पहले भी विस्तार से बताया है कि यह केवल एक पोशाक (आवरण) है। पोशाक। मेरी पोशाक मेरे शरीर के लिए परायी वस्तु है। उसी प्रकार यह स्थूल और सूक्ष्म शरीर हैं-- स्थूल शरीर भौतिक पाँच तत्वों से बना है और सूक्ष्म शरीर मन, अहंकार और बुद्धि--- वे मेरी परायी वस्तुएँ हैं। अत: अब मैं इन परायी वस्तुओं में जकड़ा हुआ हूँ। इन बाह्य वस्तुओं से निकलना ही मेरे जीवन का एकमात्र लक्ष्य है। मैं अपनी अध्यात्मिक शरीर में ही स्थित रहना चाहता हूँ। वह अभ्यास से ही प्राप्त किया जा सकता है।
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