HI/660401 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि, यह भौतिक शरीर बाह्य वस्तु है। हमने आपको यह पहले भी विस्तार से बताया है कि, यह केवल एक पोशाक (आवरण) है। पोशाक। यह पोशाक मेरे शरीर के लिए एक बाह्य वस्तु है। उसी प्रकार यह स्थूल और सूक्ष्म शरीर- स्थूल शरीर पंच महाभूत से बना है और सूक्ष्म शरीर मन,अहंकार और बुद्धि से - ये मेरी बाह्य वस्तुएँ हैं। अत: अब मैं इन बाह्य वस्तुओं में जकड़ा हुआ हूँ। इन बाह्य वस्तुओं से निकलना ही मेरे जीवन का एकमात्र लक्ष्य है। मैं अपने वास्तविक अध्यात्मिक शरीर में ही स्थित रहना चाहता हूँ। जिसे आप अभ्यास के द्वारा प्राप्त कर सकते हो।
660401 - प्रवचन भ.गी. २.४८-४९ - न्यूयार्क