HI/660415 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत बूँदें
यह जगत्, यह मँच, जहाँ हम खड़े हैं, यह सब समाप्त हो जायेगा । यह प्रकृति का नियम है। कुछ भी नहीं रहेगा। कुछ भी स्थिर नहीं रहेगा। सब कुछ समाप्त हो जायेगा। जैसे हमारी यह देह समाप्त हो जायेगी। मेरे पास अभी यह सुन्दर शरीर है।कल्पना करो कि सत्तर वर्ष मेरी आयु है, सत्तर वर्ष पूर्व इसका कोई अस्तित्व नहीं था, इसलिए इस देह की अभिव्यक्ति सत्तर-अस्सी वर्ष तक की है। इसलिए इस जगत् की अभिव्यक्ति क्या है, बहुत सी वस्तुएँ हैं? लेकिन सागर में एक बुलबुलों के समान हैं।
660415 - Lecture BG 02.55-58 - New York