HI/660520 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 05:47, 20 July 2020 by Amala Sita (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
वैदिक शास्त्रों का निर्माण बद्धजीव के मार्गदर्शन के लिए ही हुआ है। इस भौतिक जगत में सभी जीव भौतिक प्रकृति के नियमों से बद्ध हैं। यह सृष्टि, विशेषकर यह मनुष्य देह, इस भौतिक जकड़न से छुटकारा पाने का एक अवसर है। और भगवान विष्णु की सन्तुष्टि के लिए कार्य करने से ही यह अवसर हमें प्राप्त हो सकता है।
660520 - प्रवचन भ.गी. ३.८-१३ - न्यूयार्क