HI/660523 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत बूँदें||<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/660523BG-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|यदि मैं इस देहरूपी पिंजरे से या इस भौतिक सत्ता की त्रिगुणी दुखों से छुटकारा पाना चाहता हूँ, तो मुझे उसकी चिकित्सा करनी पड़ेगी। जिस प्रकार एक रोगी, रोग की पीड़ा से मुक्त होने के लिए एक चिकित्सक के पास जाता है, ठीक उसी प्रकार, यह हमारा भौतिक अस्तित्व, जो त्रीगुणी दुखों और जन्म, मृत्यु, ज़रा और व्याधि से जकड़ा हुआ है.... यदि हम वास्तव में अपने आन्नद के प्रति जागरूक हैं तो हमें इन दुखों से छुटकारा पाने के कोई स्थाई, सही समाधान निकालना चाहिए। यही मानव जीवन का एक मात्र लक्ष्य है।|Vanisource:660523 - Lecture BG 03.13-16 - New York|660523 - Lecture BG 03.13-16 - New York}}
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Latest revision as of 06:03, 20 July 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
यदि मैं इस देहरूपी पिंजरे से या इस भौतिक अस्तित्व की त्रिगुणी कष्टों से मुक्त होना चाहता हूँ, तो मुझे स्वयं अपना उपचार करना पड़ेगा। जिस प्रकार एक रोगी, रोग की पीड़ा से मुक्त होने के लिए एक चिकित्सक के पास जाता है, ठीक उसी प्रकार, यह हमारा भौतिक अस्तित्व, जो त्रीगुणी दुखों और जन्म, मृत्यु, ज़रा और व्याधि से जकड़ा हुआ है... यदि हम वास्तव में अपने आनंद के प्रति सचेत हैं, तो हमें इन कष्टों से मुक्त होने के लिए कोई स्थायी समाधान निकालना चाहिए। यही मानव जीवन का एक मात्र लक्ष्य(मिशन) है ।
660523 - प्रवचन भ.गी. ३.१३-१६ - न्यूयार्क