HI/660525 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"एक भगवान् रहित सभ्यता की स्थापना करने से हम आन्नदित नहीं हैं । हम ख़ुश नहीं हैं। ठीक उसी प्रकार जैसे इस उदर को भोजन नहीं देने से, हम आनन्दित होने की कामना नहीं कर सकते। नहीं ! ऐसा नही हो सकता। यदि हमारे शरीर की इन्द्रियाँ, शरीर के विभिन्न अंग प्रसन्न रहना चाहते हैं तो इन इन्द्रियों और अन्य शरीर के अंगों को, उदर ( पेट) को भोजन देना ही होगा। उसी प्रकार यदि इस जगत् में हम प्रसन्न रहना चाहते हैं तो त्याग करने के अतिरिक्त कोई अन्य विक्लप नहीं है।
660525 - Lecture BG 03.16-17 - New York