HI/660808 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्ण-भावना-भावित मनुष्य को अच्छे या बुरे फल से लिप्त नहीं होना चाहिए। क्योंकि यदि हम अच्छा फल चाहते हैं तो वह भी हमारी लिप्तता है। निश्चित् है कि यदि फल अच्छा नहीं मिला तो हम उससे लिप्त नहीं हैं लेकिन हम कभी-कभी दुखी होते हैं। वह हमारी लिप्तता है। अत: हमें अच्छे और बुरे फल से ऊपर उठना है। यह हम कैसे कर सकते हैं? यह हम कर सकते हैं। जैसे कि तुम किसी कम्पनी के हिसाब-किताब संभालने का कार्य करते हैं, कल्पना करो कि आप एक विक्रेता हैं। आप किसी बड़ी कम्पनी के लिए काम करते हैं। अभी यदि तुम्हें दस लाख का लाभ हुआ। तुम्हें उस लाभ से कोई लगाव नहीं क्योंकि तुम्हें ज्ञात है कि वह लाभ राशि तो मालिक की है। तुम्हें उससे कोई लगाव नहीं है। उसी प्रकार यदि हानि हुई है तो भी तुम्हें ज्ञात है कि तुम्हें उससे कुछ लेना देना नहीं है, वह हानि मालिक की ही है। ठीक उसी प्रकार यदि हम कृष्ण के लिए कार्य करें तो मैं कर्म के फल की लिप्तता को त्याग सकेंगे।"
660808 - Lecture BG 04.19-22 - New York