HI/660918 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"भौतिक शक्ति बहुत बलवान है और हम बहुत दुर्बल हैं। अत: ऐसा समझ लो कि अध्यात्मिक जीवन अपनाने के लिए, भौतिक शक्ति के विरूद्ध एक युद्ध लड़ने की भान्ति है। भौतिक, भ्रमित करने वाली शक्ति, अपने पूर्ण बल से बद्धजीव को रोकने का प्रयास करती है। अभी बद्ध जीव अध्यात्मिक ज्ञान में प्रगति करके इसके चंगुल से छूटने का प्रयास करता है तो यह और भी दृढ़ हो जाती है। हाँ ! यह भौतिक शक्ति कईं प्रलोभन प्रस्तुत करके परीक्षा लेगी कि यह व्यक्ति कितना गम्भीर है ?"
660918 - Lecture BG 06.40-43 - New York