HI/661009 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 11:48, 28 July 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"अब, चार प्रकार की श्रेणी के व्यक्ति भगवान् के शरण में नहीं आते... इसका अर्थ है पापी, मूढ़, मनुष्यो में सबसे अधम, जिनका ज्ञान माया शक्ति द्वारा हर लिया गया हो और जो नास्तिक हैं। इन चार श्रेणियों के व्यक्तियों के अतिरिक्त, चार प्रकार के अन्य लोग होते हैं, जो भगवान् के पास आते हैं। जैसे कि आर्त, पीड़ित, जिज्ञासु, अर्थार्थी... अर्थार्थी का अर्थ है जो दरिद्र हों; जिज्ञासु का अर्थ है दार्शनिक। अब, भगवान् कृष्ण कहते हैं कि, इन चार श्रेणियों में से - तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एक-भक्तिर्विशिष्यते: 'इन चार प्रकार की श्रेणियों के लोगों में से जो ज्ञान के बल पर, शुद्ध भक्ति से, कृष्णभावनामृत से, भगवान् की प्रकृति को समझने का प्रयास करता है, वह विशिष्यते है।' विशिष्यते का अर्थ है वो विशेष रूप से योग्य है।" |
661009 - प्रवचन भ.गी. ७.१५-१८ - न्यूयार्क |