HI/661009 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"चार प्रकार की श्रेणी के व्यक्ति भगवान् की शरण में नहीं आते...अपवित्र, मूढ़, निम्न प्रकार के व्यक्ति, जिनकी बुद्धि माया शक्ति द्वारा हर ली गई हो और जो नास्तिक हैं। इन चार श्रेणियों के व्यक्तियों के अलावा, चार प्रकार के अन्य लोग होते हैं, जो भगवान् के पास आते हैं। जैसे कि आर्त, पीड़ित, जिज्ञासु, अर्थार्थी...अर्थार्थी का अर्थ है जो दरिद्र हों; जिज्ञासु का अर्थ है दार्शनिक। भगवान् कृष्ण कहते हैं कि इन चार श्रेणियों में से-तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एकभक्तिर्विशिष्यते: इन चार प्रकार की श्रेणियों के लोगों में से जो ज्ञान के बल पर, शुद्ध भक्ति से कृष्ण भावनामृत होने का प्रयास करता है, वह विशिष्यते है; विशिष्यते का अर्थ है, विशिष्ट।"
661009 - Lecture BG 07.15-18 - New York