HI/661023 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"एक बालक जो अग्नि के स्वभाविक ज्ञान से अवज्ञ है, और वह अग्नि को छुए गा तो अग्नि तो अपना कार्य करेगी। और एक वैज्ञानिक जिसे अग्नि के स्वभाव का ज्ञान है और फिर भी यदि वह अग्नि को छुए गा तो वह भी...तो वह भी जलेगा। कृष्ण भावनामृत इतनी विनम्र है कि यदि आप इसकी दार्शनिकता व विज्ञान के ज्ञान को जाने बिना भी यदि आप इसे अपना लेते हैं तो इसका प्रभाव हम पर अवश्य पड़ेगा। लेकिन यदि आप इसकी दार्शनिकता और विज्ञान को समझने के इच्छुक भी हैं, तो हमारे पास भगवद् गीता है; जिसमें ज्ञान का प्रयाप्त भंडार संचित है।"
661023 - Lecture BG 07.28-8.6 - New York