HI/661026 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/661026BG-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|"आत्मा पर स्थूल सूक्ष्म शरीर का आवरण है। जब स्थूल शरीर काम करना बन्द कर देता है...जैसे कि रात्रि के समय स्थूल शरीर विश्राम कर रहा होता है तो सूक्ष्म शरीर कार्य करता रहता है। इसलिए आप स्वप्न ले रहे होते हो। सूक्ष्म शरीर काम करता रहता है। अत: जब तुम इस स्थूल शरीर का त्याग करते हो तो तुम्हारा सूक्ष्म शरीर तुम्हारी बुद्धि और मन को सरलता से ले जाता है। जैसे वायु सुगन्ध को लेकर चलती है। जैसे वायु गुलाब के फूलों के पास से जाती है तो वह गुलाब की सुगन्ध को लेकर आती है। गुलाब वहाँ नहीं है, लेकिन सुगन्ध है। ठीक उसी प्रकार तुम्हारा सूक्ष्म शरीर तुम्हारी मनोवृत्ति और बुद्धि को लेकर चलता है। वह सूक्ष्म शरीर है, और तुम्हें वैसा ही शरीर मिलता है। इसलिए मृत्यु के समय एक परीक्षण होता है कि तुमने कृष्ण-भावना में कितनी प्रगति की है।"|Vanisource:661026 - Lecture BG 08.05 - New York|661026 - Lecture BG 08.05 - New York}}
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/661026BG-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>| "अभी आत्मा पर स्थूल और सूक्ष्म शरीर का आवरण है। जब स्थूल शरीर कार्य करना बन्द कर देता है... जैसे की रात्रि के समय स्थूल शरीर विश्राम कर रहा होता है, परन्तु सूक्ष्म शरीर कार्य करता रहता है। इसलिए आपको स्वप्न आते है। सूक्ष्म शरीर कार्य करता रहता है। इसलिए जब आप इस स्थूल शरीर का त्याग करते हैं, तब आपका सूक्ष्म शरीर आपकी बुद्धि और मन को सरलता से ले जाता है। जिस प्रकार वायु सुगन्ध को लेकर चलती है। जिस प्रकार वायु गुलाब के फूलों के पास से जाती है तो वह गुलाब की सुगन्ध को लेकर आती है। गुलाब वहाँ नहीं है, किन्तु सुगन्ध है। ठीक उसी प्रकार आपका सूक्ष्म शरीर आपकी मनोवृत्ति और बुद्धि को लेकर चलता है। वह सूक्ष्म शरीर है, और आपको वैसा ही शरीर प्राप्त होता है। इसलिए मृत्यु के समय परीक्षण होता है कि, व्यक्ति ने कृष्णभावनामृत में कितनी प्रगति की है।" |Vanisource:661026 - Lecture BG 08.05 - New York|661026 - प्रवचन भ.गी. ८.- न्यूयार्क}}

Latest revision as of 23:09, 16 August 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"अभी आत्मा पर स्थूल और सूक्ष्म शरीर का आवरण है। जब स्थूल शरीर कार्य करना बन्द कर देता है... जैसे की रात्रि के समय स्थूल शरीर विश्राम कर रहा होता है, परन्तु सूक्ष्म शरीर कार्य करता रहता है। इसलिए आपको स्वप्न आते है। सूक्ष्म शरीर कार्य करता रहता है। इसलिए जब आप इस स्थूल शरीर का त्याग करते हैं, तब आपका सूक्ष्म शरीर आपकी बुद्धि और मन को सरलता से ले जाता है। जिस प्रकार वायु सुगन्ध को लेकर चलती है। जिस प्रकार वायु गुलाब के फूलों के पास से जाती है तो वह गुलाब की सुगन्ध को लेकर आती है। गुलाब वहाँ नहीं है, किन्तु सुगन्ध है। ठीक उसी प्रकार आपका सूक्ष्म शरीर आपकी मनोवृत्ति और बुद्धि को लेकर चलता है। वह सूक्ष्म शरीर है, और आपको वैसा ही शरीर प्राप्त होता है। इसलिए मृत्यु के समय परीक्षण होता है कि, व्यक्ति ने कृष्णभावनामृत में कितनी प्रगति की है।"
661026 - प्रवचन भ.गी. ८.५ - न्यूयार्क