HI/661104 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 23:10, 16 August 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"भगवान् चैतन्य महाप्रभु के मतानुसार, इस कलियुग में वैदिक नियमों और यज्ञादि का पालन करना संभव नहीं है... वे बहुत कठिन हैं। धार्मिक प्रथाओं और धार्मिक विधिओ को करवाने के लिए कोई भी निपुण मार्गदर्शक नहीं हैं। इसलिए, इस हरे कृष्ण को स्वीकार करें। इसे अपना लें। किसी धार्मिक अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं है। कुछ खर्च करने की आवश्यकता नहीं। भगवान् ने आपको जिह्वा और कान दिये हैं। बस, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे; का जप करते रहिए। और इससे आपकी अध्यात्मिक उन्नति की पूर्ति हो जाएगी।" |
661104 - प्रवचन गोवर्धन पूजा महोत्सव - न्यूयार्क |