HI/661123 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६६‎]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६६‎]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - न्यूयार्क]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - न्यूयार्क]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/661123BG-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|"श्रवणं कीर्तनं विष्णों स्मरणं... अभी जो आप भगवद् गीता से सुन रहे हैं यदि घर जाकर स्मरण करें कि स्वामी जी जो कह रहे थे उसे मैं अपने जीवन में कैसे प्रयोग में ला सकता हूँअथवा लागू कर सकता हूँ?... हमें यहाँ से जाने के पश्चात् इसे भूलना नहीं चाहिए बल्कि स्मरण रखना चाहिए। और यदि कोई प्रश्न या संशय है तो उसे सब के समक्ष सभा में रखना चाहिए। मैं यह जानना चाहता हूँ। मैं तुम्हें प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित कर रहा हूँ क्योंकि हम इस अति मनमोहन विज्ञान को समझने का प्रयास कर रहे हैं। अत:इसे बहुत समीक्षात्मक रूप से समझना चाहिए। हम यह निवेदन नहीं करना चाहते कि तुम इसे अंधविश्वास के रूप में स्वीकार करें।"|Vanisource:661123 - Lecture BG 09.02-5 - New York|661123 - Lecture BG 09.02-5 - New York}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/661122 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|661122|HI/661124 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|661124}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/661123BG-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>| "श्रवणम कीर्तनम विष्णो स्मरणम । अभी, जो आप भगवद् गीता से सुन रहे हैं यदि घर जाकर स्मरण करें, कि जो स्वामीजी कह रहे थे, उसे मैं अपने जीवन में कैसे प्रयोग में ला सकता हूँ ?'...तो हमें ये याद रखना चाहिए। हमें यहाँ से जाने के पश्चात् इसे भूल नहीं जाना चाहिए। और यदि कोई प्रश्न या संशय है, तो उसे सभी के समक्ष सभा में रखना चाहिए। आपका जो भी प्रश्न है। मैं आपको प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित कर रहा हूँ क्योंकि हम एक महान और सुन्दर विज्ञान को समझने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए इसे अत्यधिक महत्वपूर्ण अभ्यास से समझना चाहिए। हम आपसे यह अनुरोध नहीं कर रहे हैं कि, आप इसे अपना ले या अंधविश्वास के साथ स्वीकार करें।" |Vanisource:661123 - Lecture BG 09.02-5 - New York|661123 - प्रवचन भ.गी. ९.-- न्यूयार्क}}

Latest revision as of 07:15, 18 March 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"श्रवणम कीर्तनम विष्णो स्मरणम । अभी, जो आप भगवद् गीता से सुन रहे हैं यदि घर जाकर स्मरण करें, कि जो स्वामीजी कह रहे थे, उसे मैं अपने जीवन में कैसे प्रयोग में ला सकता हूँ ?'...तो हमें ये याद रखना चाहिए। हमें यहाँ से जाने के पश्चात् इसे भूल नहीं जाना चाहिए। और यदि कोई प्रश्न या संशय है, तो उसे सभी के समक्ष सभा में रखना चाहिए। आपका जो भी प्रश्न है। मैं आपको प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित कर रहा हूँ क्योंकि हम एक महान और सुन्दर विज्ञान को समझने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए इसे अत्यधिक महत्वपूर्ण अभ्यास से समझना चाहिए। हम आपसे यह अनुरोध नहीं कर रहे हैं कि, आप इसे अपना ले या अंधविश्वास के साथ स्वीकार करें।"
661123 - प्रवचन भ.गी. ९.२-५ - न्यूयार्क