HI/661129 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
[["यदि आप भगवान् श्री कृष्ण को प्राप्त करना चाहते हैं तो भक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई रास्ता नहीं है। न तो योग विद्या, न ही दार्शनिक परिकल्पना, न ही कर्मकाण्ड करने से, न ही वेदिक साहित्य को पढ़ने से, न ही तपस्या और न ही कठोर नियमों का पालन करने से... ये सभी सिद्धान्त तो दिव्य बोध प्राप्त करने के लिए हैं, ये भले ही हमें कुछ हद तक प्रगति करने में सहायता कर सकते हैं। लेकिन यदि तुम परम पिता भगवान् से स्वत: संबंध जोड़ना चाहते हैं तो तुम्हें कृष्ण भावनामृत, भक्ति का रास्ता ही अपनाना पड़ेगा। अन्य कोई रास्ता नहीं है।"|Vanisource:661129 - Lecture CC Madhya 20.137-142 - New York]]