HI/661211 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Nectar Drops from Srila Prabhupada
"ज्ञान, योग, भक्ति- तीन साधनेर वशे
ब्रह्म, आत्मा, भगवान्- त्रिविधा प्रकाशे।
(च चै मध्य २०.१५७)
परम सत्य की अभिव्यक्ति देखने वाले के दृष्टिकोण पर निर्भर करती है।बिना किसी शंका के, निश्चित रूप से परम सत्य है परन्तु परम सत्य की अभिव्यक्ति देखने वाले की क्षमता पर निर्भर है वह अव्यक्त ब्रह्मण, या परमात्मा, या परम भगवान् के रूप में होती है।"
661211 - Lecture CC Madhya 20.156-163 - New York