HI/661212 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/661212BG-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|"अभी तुम्हें कृष्ण के साथ मित्रता करनी है। जैसे किसी महान हसती से मिलना है तो तुम्हें उसके साथ कोई न कोई सम्बंध बनाना पड़ेगा। तुम्हें अपना परिचय प्रेम से मित्रता के ढ़ंग से देना होगा। तभी महानुभावों से सम्बन्ध जोड़ना सम्भव होगा। अत: यदि हम उस परमलोक, कृष्ण लोक में जाना चाहते हैं तो हमें घनिष्ठ प्रेम द्वारा भगवान् से सम्बन्ध जोड़ना होगा। कृष्ण से प्रेम करना सीखना होगा। भगवान् से प्रेम करो। यदि हम भगवान् से प्रेम नहीं करते तो हम हम भगवान् की कृपा को प्राप्त नहीं कर सकते।"|Vanisource:661212 - Lecture BG 09.24-26 - New York|661212 - Lecture BG 09.24-26 - New York}}
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/661212BG-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>| "आपको कृष्ण के साथ मित्रता करनी होगी। जिस प्रकार जब आप किसी महान हस्ती से मिलने जाते हैं , तो आपको उनके साथ कोई न कोई संबंध बनाना पड़ता है। आपको अपना परिचय प्रेम मित्रतापूर्वक देना होता है। तभी महानुभावों से संबंध जोड़ना सम्भव हो पाता है। उसी प्रकार यदि हम उस परमलोक, कृष्ण लोक, में जाना चाहते हैं तो हमें स्वयं तैयार करना होगा की कृष्ण से कैसे प्रेम करे। भगवद प्रेम। यह तभी सम्भव है यदि आप भगवान् से घनिष्ठ प्रेम से जुड़े हो। हम सबकुछ होते हुए भी भगवान को नहीं पा सकते। जब तक हम भगवान् से प्रेम नहीं करते तब तक हम भगवान् की कृपा प्राप्त नहीं कर सकते।" |Vanisource:661212 - Lecture BG 09.24-26 - New York|661212 - प्रवचन भ.गी. ९.२४-२६ - न्यूयार्क}}

Latest revision as of 06:35, 30 March 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"आपको कृष्ण के साथ मित्रता करनी होगी। जिस प्रकार जब आप किसी महान हस्ती से मिलने जाते हैं , तो आपको उनके साथ कोई न कोई संबंध बनाना पड़ता है। आपको अपना परिचय प्रेम व मित्रतापूर्वक देना होता है। तभी महानुभावों से संबंध जोड़ना सम्भव हो पाता है। उसी प्रकार यदि हम उस परमलोक, कृष्ण लोक, में जाना चाहते हैं तो हमें स्वयं तैयार करना होगा की कृष्ण से कैसे प्रेम करे। भगवद प्रेम। यह तभी सम्भव है यदि आप भगवान् से घनिष्ठ प्रेम से जुड़े हो। हम सबकुछ होते हुए भी भगवान को नहीं पा सकते। जब तक हम भगवान् से प्रेम नहीं करते तब तक हम भगवान् की कृपा प्राप्त नहीं कर सकते।"
661212 - प्रवचन भ.गी. ९.२४-२६ - न्यूयार्क