"जो सफलता सतयुग में ध्यान योग द्वारा प्राप्त की जाती थी वह अगले युग में यज्ञ (त्याग) और उससे से अगले युग में मन्दिर में पूजा करने से प्राप्त होती थी। इस युग के लिए बताया गया है कि वही सफलता, वही सिद्धि, वही अध्यात्मिक सिद्धि, हरि कीर्तन करने से प्राप्त कर सकते हैं,"हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे" का जप करने से प्राप्त कर सकते है। हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करने के लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती। कोई भी और हर कोई इसका जप कर सकता है और जाप करने से ह्रदय के आईने पर पड़ी धूल स्वच्छ हो जाती है।"
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