HI/670102d प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 03:58, 11 April 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"यह श्रवण करने की प्रक्रिया बहुत अच्छी है। चैतन्य महाप्रभु ने स्वयं इसे अनुसंशित किया है। केवल सुनने मात्र से। हमें वेदांत दर्शन में बहुत उच्च शिक्षित या बहुत अच्छे विद्वान होने की आवश्यकता नहीं है। आप जो भी हैं, आप अपने पद पर रहें; उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। बस श्रवण करने का प्रयास करे, और श्रवण करने से सब कुछ हो जाएगा... स्वयमेव स्फुरति अद: (चै.च. मध्य १७.१३६)। क्योंकि प्रक्रिया यह है, कि जब तक भगवान प्रकट नहीं होते, हम उनको समझ नहीं सकते या उनको देख नहीं सकते। तो यह रहस्योद्घाटन तब होगा जब हम विनम्रतापूर्वक सुनेंगे। हम शायद ना भी समझे, किन्तु केवल सुनने मात्र से हम जीवन के उच्च चरण को प्राप्त कर सकते हैं।" |
670102 - प्रवचन चै.च. मध्य २०.३९१-४०५ - न्यूयार्क |