HI/670103 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 04:12, 12 April 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"आध्यात्मिक द्रष्टिकोण से, कलियुग के लोग अभागे हैं । इसका वर्णन श्रीमद भागवतम के प्रथम स्कन्द के द्वितीय अध्याय में दिया गया है (श्री.भा. १.२), कि लोगों की आयु अल्प है, उनकी जीवन अवधि अल्पकालीन है, और वे आध्यात्मिक बोध के विषय में अत्यधिक धीमें हैं। मनुष्य जीवन विशेष कर के आध्यात्मिक प्राप्ति के लिए है, परन्तु कलयुग के जीव जीवन के इस लक्ष्य को ही भूल चुके हैं। वे इस शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करने की इच्छा को बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं जब की वे यह शरीर नहीं हैं। तथा यदि कोई व्यक्ति आध्यात्मिक प्राप्ति के स्वाद को चख़ने के विषय में थोड़ी भी रुची रखता है, तो ऐसे लोगों को गुमराह किया जाता है।" |
670103 - प्रवचन चै.च. मध्य २१.१-१० - न्यूयार्क |