HI/670116 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
कृष्ण असली सूर्य है ; इसीलिए जहा भी कृष्ण है वहा पे अज्ञान और माया नहीं रह सकते. अंधेरे की तुलना अज्ञान, भ्रम, नींद, आलस, नशा, पागलपन से की जाती है;ये सभी अंधेरे हैं । जो अंधेरे की गुणवत्ता में है, उस व्यक्ति में ये बाते दिखाई देगी: बहुत नींद, आलसी, अज्ञानी. बस विपरीत, ज्ञान की संख्या में विपरीत। तोह इसे अंधकार कहा जाता है। तो अगर वास्तव में कोई कृष्ण भावनामृत है तोह ये गन उस व्यक्ति मैं नहीं दिखेंगे।यह कृष्ण की चेतना में प्रगति का एक परीक्षण है। "
670116 - Lecture CC Madhya 22.31-33 - New York