HI/670130 - अच्युतानंद को लिखित पत्र, सैन फ्रांसिस्को: Difference between revisions

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मेरे प्रिय अच्युतानंद, <br/>
मेरे प्रिय अच्युतानंद, <br/>
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। चूंकि कीर्तनानंद अनुपस्थित हैं, निश्चित रूप से आप कुछ तनाव महसूस कर रहे हैं। लेकिन जितना आप कृष्ण की सेवा करोगे उतने ही तुम मजबूत होते जाओगे। मुझे आशा है कि आपको अपने अन्य धर्मभाई द्वारा उचित सहायता दी जा रही है। मुझे आपकी बात सुनकर खुशी होगी। कृष्ण आपको अपने पारलौकिक कर्तव्यों के निर्वहन में सभी सुरक्षा प्रदान करें। <br/>
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। चूंकि कीर्तनानंद अनुपस्थित हैं, निश्चित रूप से आप कुछ तनाव महसूस कर रहे होगे। लेकिन जितना आप कृष्ण की सेवा करोगे उतने ही आप मजबूत बनोगे। मुझे आशा है कि आपको अपने अन्य गुरूभाई द्वारा उचित सहायता दी जा रही है। मुझे आपकी बात सुनकर खुशी होगी। कृष्ण आपको अपने पारलौकिक कर्तव्यों के निर्वहन में सभी सुरक्षा प्रदान करें। <br/>
आपका शुभचिंतक, <br/>
आपका शुभचिंतक, <br/>
हस्ताक्षर<br/>
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ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी

Latest revision as of 14:16, 25 August 2021

अच्युतानंद को पत्र


[अस्पष्ट]
अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
५१८ फ्रेडरिक गली, सैन फ्रांसिसको
कैलीफ़ोर्निया, ३० जनवरी, १९६७


मेरे प्रिय अच्युतानंद,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। चूंकि कीर्तनानंद अनुपस्थित हैं, निश्चित रूप से आप कुछ तनाव महसूस कर रहे होगे। लेकिन जितना आप कृष्ण की सेवा करोगे उतने ही आप मजबूत बनोगे। मुझे आशा है कि आपको अपने अन्य गुरूभाई द्वारा उचित सहायता दी जा रही है। मुझे आपकी बात सुनकर खुशी होगी। कृष्ण आपको अपने पारलौकिक कर्तव्यों के निर्वहन में सभी सुरक्षा प्रदान करें।
आपका शुभचिंतक,

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी