HI/670207 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"वे जिनकी चेतना का स्तर दूसरे चरण में है, वह भगवान को जानते है, वह भगवान से प्रेम करते है और भगवान के साथ सम्बन्ध रखते है, वे भगवान के भक्तो से प्रेम करते है . . . वे भगवान के भक्तो से मित्रता करते है। ईस्वरे तदधीनेषु बालिशेषु (वाणीसौर्स: श्री भा ११.२.४६)। और जहाँ तक मासूमो का सवाल है . . . मासूम का अर्थ है कि वे अपराधी नहीं हैं, अपितु वे नहीं जानते कि ईश्वर क्या है, उसका उनसे संबंध क्या है; साधारण मनुस्य। उनके लिए, जो व्यक्ति कृष्ण भावनामृत के दूसरे चरण में है, उनका यह कर्तव्य बन जाता है कि वे इनका ज्ञानवर्धन करें। और जो लोग नास्तिक हैं, जानबूझकर भगवान के खिलाफ हैं, हमें इनसे बचाना चाहिए।"
६७०२०७ - प्रवचन च च आदि लीला ०७.४९-६५ - सैन फ्रांसिस्को