HI/670208 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६७]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६७]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - सैन फ्रांसिस्को]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - सैन फ्रांसिस्को]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/670208CC-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|चैतन्य महाप्रभु का कहना है कि "मेरे गुरु महाराज, मेरे आध्यात्मिक गुरु, ने मुझसे कहा कि 'इस पंक्ती को आप अपने गले के भीतर रखो, और आप जप करते जाओ, और मैं आपको आशीर्वाद देता हूं कि आप मुक्त हो जाओगे। आप न केवल मुक्त होंगे, बल्कि आप उच्चतम लक्ष्य, कृष्ण ग्रह तक पहुँच जायेंगे।|Vanisource:670207 - Lecture CC Adi 07.49-65 - San Francisco|670207 - प्रवचन CC Adi 07.49-65 - सैन फ्रांसिस्को}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/670207b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|670207b|HI/670209 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|670209}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/670208CC-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|"चैतन्य महाप्रभु कहते हैं कि,"मेरे गुरु महाराज, मेरे आध्यात्मिक गुरु, ने मुझसे कहा कि 'इस श्लोक को अपने कंठ के भीतर रखो, और जप करते जाओ, और मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूँ कि, तुम मुक्त हो जाओगे। तुम्हे केवल मुक्ति ही नहीं, अपितु अपना परम लक्ष्य, कृष्ण ग्रह पहुँच जाओगे।" |Vanisource:670207 - Lecture CC Adi 07.49-65 - San Francisco|670207 - प्रवचन चै.च. आदि ७.४९-६५- सैन फ्रांसिस्को}}

Latest revision as of 12:44, 5 April 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"चैतन्य महाप्रभु कहते हैं कि,"मेरे गुरु महाराज, मेरे आध्यात्मिक गुरु, ने मुझसे कहा कि 'इस श्लोक को अपने कंठ के भीतर रखो, और जप करते जाओ, और मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूँ कि, तुम मुक्त हो जाओगे। तुम्हे केवल मुक्ति ही नहीं, अपितु अपना परम लक्ष्य, कृष्ण ग्रह पहुँच जाओगे।"
670207 - प्रवचन चै.च. आदि ७.४९-६५- सैन फ्रांसिस्को