HI/670223b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 12:54, 28 April 2022 by Meghna (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि आप मेरे छायाचित्र को लेकर मेरे आसान पर रख देते हो, और मैं यहाँ उपस्थित नहीं हूँ, तो वह छायाचित्र कोई कार्य नहीं करेगा, क्योंकि वह भौतिक है। परन्तु कृष्ण के लिए, उनका छायाचित्र, उनका अर्च विग्रह, उनकी हर एक वस्तु कार्य करेगी क्यूँकि वे आध्यात्मिक हैं। तो हमें यह हमेशा ज्ञात होना चाहिए कि, जैसे ही हम हरे कृष्ण महामंत्र का जप करते हैं, कृष्ण तुरंत ही वहाँ होते हैं। तत्क्षण। कृष्ण वहाँ उपस्थित हैं। परन्तु हमें यह ज्ञात होना चाहिए की वे है, शब्द ध्वनि के रूप में, कृष्ण उपस्थित हैं। तो अङ्गानि यस्य। स ईक्षांचक्रे। उनकी दृष्टि, उनकी उपस्थिति, उनकी गतिविधियां, वे सभी दिव्य हैं। भगवद गीता में यह कहा गया है, जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वत (भ गी ४.९): "जो कोई मेरे जन्म, मेरे अविर्भाव, तिरोभाव और अन्य गतिविधियों को प्रकृति की वास्तविकता को यथा रूप समझ जाता है, त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोSर्जुन," वह तुरंत ही मुक्ति को प्राप्त होता है।"
670223 - प्रवचन चै च अदि लीला ०७.११३-१७ - सैन फ्रांसिस्को