HI/670224 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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|Vanisource:670224 - Lecture CC Adi 07.118-120 - San Francisco|६७०२२४ - प्रवचन चै च अदि लीला ०७.११८-१२० - सैन फ्रांसिस्को}}
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Latest revision as of 13:15, 13 April 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो परमात्मा के साथ कितने सारे गुणात्मक समानताएं हैं, मेरे कहने का तात्पर्य है, जीव आत्माओं का। किन्तु शंकराचार्य के कथन अनुसार "हम जीव आत्माएं, हम सभी भगवान हैं, और वर्तमान में माया द्वारा भ्रमित है। और जैसे ही हम इस माया के बंधन से छूट जाएँगे, हम भगवान बन जाएँगे।" यह तथ्य नहीं है। आप भगवान नहीं बन जाओगे, पर आपके भीतर ईश्वरीय गुण मौजूद हैं, कई गुण, कुछ प्रमाण में, सम्पूर्णतः नहीं। तो जैसे ही आप इस भौतिक बंधन से मुक्त हो जाते हो, आप अपने वास्तविक गुणों को प्राप्त कर लेते हो, आध्यात्मिक दिव्य गुणों को।"

670224 - प्रवचन चै च अदि लीला ०७.११८-१२० - सैन फ्रांसिस्को