HI/670722 - जनार्दन को लिखित पत्र, न्यू यॉर्क

Revision as of 05:43, 19 May 2021 by Uma (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
जनार्दन को पत्र


अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
२६ पंथ, न्यूयॉर्क, एन.वाई. १०००३
टेलीफोन: ६७४-७४२८

आचार्य :स्वामी ए.सी. भक्तिवेदांत
समिति:
लैरी बोगार्ट
जेम्स एस. ग्रीन
कार्ल एयरगन्स
राफेल बालसम
रॉबर्ट लेफ्कोविट्ज़
रेमंड मराइस
माइकल ग्रांट
हार्वे कोहेन

२२ जुलाई, १९६७



मेरे प्रिय जनार्दन,

कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैंने आपके पत्र की प्रति को बहुत रुचि के साथ पढ़ा है, और मुझे यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि आप अधिक से अधिक कृष्ण भावनामृत को महसूस कर रहे हैं। अभी तक कहानियों का सवाल है, वैदिक ग्रंथो मानव समाज की आध्यात्मिक उन्नति के लिए शिक्षाप्रद कहानियों से भरे हुए हैं। कम बुद्धिमान वर्ग, जैसे महिलाएं, व्यापारी लोग, कहानियां सुनना चाहते हैं, उनके लिए वैदिक विचार या अवधारणा १८ पुराणों और महाभारत में समझाया गया था। अगर मुझे भरपूर सहायता प्राप्त होती हैं, तो मैं कहानियों से आपके देश को कहानियों का भंडार दे सकता हूं जो अच्छी और शिक्षाप्रद है।
मेरी इच्छा है कि अपनी एम.ए. परीक्षा खत्म करने के बाद आप निश्चित होकर, और कुछ समय के लिए, मेरे व्यक्तिगत संपर्क में वृन्दावन आएं। इस बीच, बस अपने मॉन्ट्रियल केंद्र का आयोजन करते रहें, और भारतीय सज्जन, प्रोफेसर द्विवेदी को, मंदिर में अधिक पर्याप्त रुचि लेने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। जब मैं वापस आऊंगा, तो मैं मंदिर में राधा-कृष्ण मूर्ति स्थापित करूंगा, और मुझे आशा है कि यह संस्था केनेडा और भारतीय समुदाय दोनों के लिए एक महान केंद्र होगा।
मैं आज शाम को कीर्त्तनानन्द के साथ जा रहा हूं, और आगमन पर आपको लिखूंगा।

आपका नित्य शुभचिंतक,

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी