HI/670920 - दयानन्द, नंदरानी और उद्धव को लिखित पत्र, दिल्ली

Revision as of 08:48, 1 May 2021 by Uma (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
दयानन्द, नंदरानी और उद्धव को पत्र (पृष्ठ १ से २)
दयानन्द, नंदरानी और उद्धव को पत्र (पृष्ठ २ से २)


दिल्ली सितम्बर २०, १९६७

मेरे प्रिय दयानन्द, नंदरानी और उद्धव दास,

कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके ८वें पल के पत्र के प्राप्ति में हूं, और मुझे विषय को लिखकर बहुत ख़ुशी हुई। मैं लॉस एंजिल्स में अपने नए केंद्र का नया पता पाने के लिए बहुत उत्सुक था, और अब मुझे प्रसन्नता है कि भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से हमारी मनोकामना पूरी हुई है। आपका विशिष्ट कर्तव्य है कि भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य नाम का जप करें और सुनें, श्रीमद् भागवतम और श्रीमद् भागवत गीता (गीतोपनिषद) के मेरे अंग्रेजी संस्करण से कुछ अंश पढ़ें, और जहां तक संभव हो आपने मुझसे जो सुना है, उसे समझाएं। कृष्ण के प्रति सच्चा प्रेम विकसित करने वाला कोई भी भक्त कृष्ण के बारे में सत्य समझा सकता है, क्योंकि कृष्ण ऐसे सच्चे भक्त के ह्रदय में बस कर उसकी मदद करते हैं। हर एक व्यक्ति, जो कृष्ण भावनामृत में नहीं है, को निराश होना चाहिए, क्योंकि कृष्ण के साथ शाश्वत संबंध कितना अच्छा है। कृष्ण के साथ उस शाश्वत संबंध को सही दृढ़ संकल्प के साथ भगवान के पवित्र नाम का जप करके ही पुनर्जीवित किया जा सकता है।

मैं आपके पत्र से समझता हूं कि लॉस एंजिल्स में, संचार के मामले में, स्थिति सैन फ्रांसिस्को या न्यू यॉर्क से अलग है। लेकिन कृष्ण भावनामृत का स्वाद इतना दूरगामी है, कि अगर हम भक्ति भाव से जप करेंगे तो दूर-दूर तक जाएगा। आखिर कृष्ण सभी स्थितियों के मालिक हैं। शुरुआत में आपको कुछ कठिनाई महसूस हो सकती है, लेकिन निश्चित रहें कि कृष्ण हमेशा आपके साथ हैं और वह आपकी हर प्रकार से मदद करेंगे।

मैं यह भी समझता हूं कि आप अपने देश में मेरी वापसी के लिए बहुत उत्सुक हैं, और मैं भी उतना ही उत्सुक हूं कि मैं फिर से लौटकर आपको देखूं। जहाँ तक मेरे स्वास्थ्य का संबंध है मैं निश्चित रूप से अपने स्वास्थ्य में सुधार कर रहा हूं, लेकिन थोड़ा कठिन काम या थोड़ा और चलने से मैं थकान महसूस करता हूं। दुर्भाग्य से यहां कोई अच्छा टंकण यन्त्र नहीं है, और यह पत्र मैं खुद टंकित कर रहा हूं। अच्युतानंद तेज टंकणक नहीं हैं, और कीर्तनानंद कल वापस लंदन जा रहे हैं। मैंने उन्हें लंदन में एक केंद्र सकारात्मक रूप से शुरू करने की सलाह दी है, और एक महीने के बाद रायराम बोस्टन से उनका साथ देंगे। कीर्तनानंद को नया केंद्र शुरू करने का अनुभव है, इसलिए मैंने उन्हें यह बड़ा कार्य सौंपा है। मुझे आशा है कि वह वहां सफल होंगे क्योंकि मैंने उन्हें लंदन के लिए एक महत्वपूर्ण परिचय पत्र दिया है। भगवान से प्रार्थना करें कि वह सफल हो। मैंने दोस्तों से सुना है [हस्तलिखित] कि लॉस एंजिल्स की जलवायु गर्म है। मेरे स्वास्थ्य के लिए मुझे गर्म जलवायु की आवश्यकता है। मेरे स्वास्थ्य के मामले में यहां जो भी सुधार हुआ है वह सभी गर्म जलवायु के कारण है। तो मुझे लॉस एंजेलेस के बारे में, खासकर उसके वातावरण की परिस्थितियाँ, के बारे में जानकर ख़ुशी होगी।

पश्चिमी देशों में मृत आत्माओं को प्रोत्साहन उन्हें सूचित करना है कि भगवान मरा नहीं है। वह न केवल जीवित हैं, बल्कि हम उनके पास जा सकते हैं और उनके साथ आमने-सामने रह सकते हैं। भगवत गीता हमें यह विशिष्ट जानकारी देती है, और जो भगवान के राज्य में वहां जाता है, वह इस दुखी भौतिक जगत में कभी वापस नहीं आता। कृत्रिम प्रतिभा की कोई जरूरत नहीं है। किसी को भी किसी भी प्रतिभा के साथ ईमानदारी से कृष्ण की सेवा करनी होगी। आध्यात्मिक गुरु का मार्गदर्शन और भगवान की सच्ची सेवा हमें कृष्ण के विज्ञान में सभी शक्ति प्रदान करेगा।
माथे पर, और शरीर के अन्य हिस्सों में तिलक, राधा कृष्ण मंदिरों का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है। दूसरे शब्दों में हमारे शरीर के सभी भागों पर तिलक अंकन द्वारा हम सभी दिशाओं में भगवान द्वारा संरक्षित हो जाते हैं। तिलक अंकन से हर व्यक्ति एक वैष्णव के रूप में जाना जाता है, इसलिए वे माला के समान आवश्यक हैं। आशा है कि आप ठीक हैं, और आप से खबर मिलने पर ख़ुशी होगी।

आपका नित्य शुभ-चिंतक,

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी।

श्रीमती नंदरानी , श्रीमान दयानन्द, और उद्धव दास ब्रह्मचारी
अंतराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ
३३६४ [अस्पष्ट] मार्ग
लॉस एंजिल्स, कैलिफ़ोर्निया ९००१९

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
डाकघर क्रमांक १८४६,
दिल्ली-६