HI/670923 - गर्गमुनि को लिखित पत्र, दिल्ली

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His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda



सितम्बर २३, १९६७

मेरे प्रिय गर्गमुनि,

कृपया बीमारी से आपकी स्वास्थ्यलाभ पर मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें। मैं आपकी बीमारी से बहुत चिंतित था। अब मुझे राहत मिली है कि आप अस्पताल से वापस आ गए हैं। मुझे इस बात की भी खुशी है कि आप संस्था के लिए अपनी सेवा अच्छी तरह से कर रहे हैं। करुणामायी के लिए भी मेरा आशीर्वाद। अलग डाक से मैं अपनी पास बुक भेज रहा हूं, जो जब भी आवश्यक हो प्रस्तुत किया जा सकता है। रायराम कहां है? वह कीर्त्तनानन्द से कुमारी डी.सी. बोटेल का परिचय पत्र वापस ले सकते हैं, और जैसा की पहले व्यवस्थित था वे लंदन जा सकते हैं। मैंने इस मामले को कीर्त्तनानन्द को सौंपा, लेकिन उन्होंने अवज्ञा की है जिससे मुझे सदमा लगा है। एक बार उसने मेरे आदेश का पालन नहीं किया, और हंमे श्री पायने के संबंध में $१२००.०० का नुकसान हुआ था। इस बार उसने फिर से मेरी अवज्ञा की है। यदि वह संस्था में ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, तो यह एक बड़ी बाधा होगी। आज्ञाकारिता अनुशासन का पहला नियम है। हम एक महान विश्व व्यापी संस्था के बारे में सोच रहे हैं, जिसे अवज्ञा होने पर निष्पादित किया जाना संभव नहीं है।

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी