HI/671016 - ब्रह्मानन्द को लिखित पत्र, कलकत्ता

Revision as of 06:16, 15 July 2023 by Harsh (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
ब्रह्मानन्द को पत्र (पृष्ठ १ से २)
ब्रह्मानन्द को पत्र (पृष्ठ २ से २)


१६ अक्टूबर, १९६७


मेरे प्रिय ब्रह्मानन्द,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मुझे आपका पत्र (दिनांकित १० अक्टूबर) प्राप्त हुआ है और मुझे कीर्त्तनानन्द का पत्र भी प्राप्त हुआ है। हमारे संस्था के विभिन्न केंद्रों से कीर्त्तनानन्द की गतिविधियों की खबरें मुझे बहुत अधिक कष्ट दे रही हैं। रायराम के पत्र से यह स्पष्ट है कि कीर्त्तनानन्द ने कृष्णभावनामृत दर्शन को सही ढंग से नहीं समझा है और ऐसा प्रतीत होता है कि वह कृष्ण की निराकार और साकार विशेषताओं के बीच अंतर नहीं जानते हैं। सबसे अच्छी बात यह होगी कि उन्हें हमारे किसी भी समारोह या बैठक में बोलने से रोक दिया जाए। यह स्पष्ट है कि वह पागल हो गए है और उन्हें एक बार फिर बेलेव्यू भेजा जाना चाहिए। वह पहले बेलेव्यू में थे और बड़ी मुश्किल से और श्रीमान गिन्सबर्ग की मदद से हमने उन्हें बहार निकला था। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उन ने फिर से अपना पागलपन विकसित कर लिया है, इसलिए अगर उन्हें बेलेव्यू नहीं भेजा जाता है तो कम से कम उन्हें ऐसी बकवास बोलने से रोका जाना चाहिए। उनकी गतिविधियों से स्पष्ट है कि उन पर माया द्वारा हमला किया गया है; वह आहत है। हम कृष्ण से उनके ठीक होने की प्रार्थना करेंगे लेकिन हम उन्हें मेरी ओर से बोलने की अनुमति नहीं दे सकते। मैं जल्द से जल्द वापसी की कोशिश कर रहा हूं और जब मैं वापस लौटूंगा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। आशा है कि आप ठीक हैं।
आपका नित्य शुभ-चिंतक

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी


रायराम दास ब्रह्मचारी
ब्रह्मानन्द दास ब्रह्मचारी
कीर्त्तनानन्द [अस्पष्ट] स्वामी
२६, दूसरा पंथ
न्यू यॉर्क, न्यू यॉर्क
यू.एस.ए. १०००३


ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
सी/ओ मदन दत्ता
७५ दुर्गाचरण डॉक्टर गली
कलकत्ता १४
भारत