HI/680306b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
Line 1: Line 1:
[[Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी]]
[[Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - San_Francisco]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - सैन फ्रांसिस्को]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680306SB-SAN-FRANCISCO_ND_02.mp3</mp3player>|"इसलिए भागवत सबसे बुद्धिमान व्यक्ति को सलाह देता है कि तस्यैव हेतो: प्रयतेत कोविदो: "अगर आप बुद्धिमान हैं, तो आपको अपनी कृष्ण चेतना को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए।" क्यों? न लभ्यते यद्भ्रमतामुपर्यध: ([[Vanisource:SB 1.5.18|SB 1.5.18]]): "क्योंकि यह कृष्ण चेतना इतनी मूल्यवान और दुर्लभ है कि यदि आप अपने स्पुतनिक या किसी अन्य चीज़ से अंतरिक्ष की यात्रा करते हैं, तो भी आप कहीं भी इस कृष्ण चेतना को प्राप्त नहीं कर सकते।"|Vanisource:680306 - Lecture SB 07.06.01 - San Francisco|680306 - प्रवचन SB 07.06.01 - सैन फ्रांसिस्को}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680306 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680306|HI/680309 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680309}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680306SB-SAN-FRANCISCO_ND_02.mp3</mp3player>|तो भागवत सबसे बुद्धिमान व्यक्ति को सलाह देता है कि तस्यैव हेतो: प्रयतेत कोविदो: "अगर आप बुद्धिमान हैं, तो आपको अपने कृष्ण भावनामृत को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए ।" क्यों ? न लभ्यते यद् भ्रमताम उपरी अधः ([[Vanisource:SB 1.5.18|श्री.भा. १..१८]]): "क्योंकि यह कृष्ण भावनामृत इतना मूल्यवान और दुर्लभ है कि यदि आप अपने अवकाशयान या किसी अन्य चीज़ से अंतरिक्ष की यात्रा करते हैं, तो भी आप कहीं भी इस कृष्ण भावनामृत को प्राप्त नहीं कर सकते ।|Vanisource:680306 - Lecture SB 07.06.01 - San Francisco|680306 - प्रवचन श्री.भा. ७..- सैन फ्रांसिस्को}}

Revision as of 13:43, 19 May 2019

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
तो भागवत सबसे बुद्धिमान व्यक्ति को सलाह देता है कि तस्यैव हेतो: प्रयतेत कोविदो: "अगर आप बुद्धिमान हैं, तो आपको अपने कृष्ण भावनामृत को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए ।" क्यों ? न लभ्यते यद् भ्रमताम उपरी अधः (श्री.भा. १.५.१८): "क्योंकि यह कृष्ण भावनामृत इतना मूल्यवान और दुर्लभ है कि यदि आप अपने अवकाशयान या किसी अन्य चीज़ से अंतरिक्ष की यात्रा करते हैं, तो भी आप कहीं भी इस कृष्ण भावनामृत को प्राप्त नहीं कर सकते ।
680306 - प्रवचन श्री.भा. ७.६.१ - सैन फ्रांसिस्को